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एग्जिट पोल के हिसाब से इस पार्टी की बन रही सरकार

एग्जिट पोल के हिसाब से इस पार्टी की बन रही सरकार, सामने आए आकड़ों ने सभी को चौंकाया ! आम तौर पर चुनाव होने के बाद मतदाताओं से लेकर राजनेताओं तक सभी को नतीजों का इंतजार होता है। लेकिन उससे भी पहले इंतजार होता है एग्जिट पोल का। एग्जिट पोल आने के सियासी गलियारों में…

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उनसे जुदा हुए हम

उनसे जुदा हुए हम इन्ही गलियों में हम पले बढ़ेयहीं हम सब का ठिकाना थाजानें कब गुजर गए वो खूबसूरत पलजो बीत गया वो बचपन सुहाना था बहुत कुछ सीखा है यहां सेअब औरों को सिखाना हैउठा सकें सब सिर गर्व से अपनाऐसा कुछ करके दिखाना है बिछड़ना तो लाज़िम है हम सब परअब की…

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अधूरी दास्तान

अधूरी दास्तान, मोहब्बत की सुनो गर जो कभी तुम्हे खुद से नफ़रत होने लगेतो मेरी मोहब्बत याद कर लेनागर जो कभी खुद की गलतियों पे नदामत होने लगेतो मेरी मोहब्बत याद कर लेना माना कि मुश्किल होगा ये सफर हमारा तुम्हारे बिनापर तुम कभी मुझपर तरस खा कर वापस नहीं आनाहो सकता है अब कभी…

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तुम आओगी क्या ?

तुम आओगी क्या ? जब कभी आवाज़ दूंगा, तुम आओगी क्यागिर गया जो अपनी निगाहों में,तुम उठाओगी क्यासीख जाऊंगा मैं सारा फ़लसफ़ातुम अदब-ओ-एहतराम से मुझे सिखाओगी क्या कर लूं मैं यकीन तुम्हें अपना अक्स मान करदे दूं सारा हक़ तुम्हें,ज़िम्मेदारी से निभा पाओगी क्याहोगी जब जरूरत मेरी रहूंगा साए सा साथ तुम्हारेतुम मेरी ज़रूरत में…

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रंगों से पहचान

रंगों से तुम हमारी पहचान करते होलाल से हिंदू हरे से मुसलमान करते हो हम हैं एक,एक है रंग खून का,फिर क्यूफैला कर नफ़रत यूं सरे आम करते हो पसंद है सबको सुकून-ए-क़ल्ब,तो क्योंनन्हें परिंदो को यूं बे-जान करते हो माना है मज़हब अलग,पर खुदा एक हैफिर क्यों मज़हब पर कत्ल-ए-आम करते हो फैला कर…

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जंग जो लड़नी है, जाँबाज़ होना होगा

सूखे दरख़्तों को अब हरा होना होगाडूबती कश्ती को किनारे खड़ा होना होगा छोड़ो ये डर ये बुज़दिली ये दर्द में रहनाजंग जो लड़नी है तो जाँबाज़ होना होगा वक़्त है ख़्वाबों को हक़ीक़त में बदलने कानाज़ुक कलाई कमज़ोर कंधों को मजबूत होना होगा कर लिया इंतिज़ार अँधेरे के हटने काअब सितारों को रौशनी में…

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हिंदी भारतीय संस्कृति आत्मा : प्रो. योगेश सिंह

रचयिता द्वारा 20-21 सितंबर 2024 को दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्ट्स फैक्लटी में दो-दिवसीय साहित्योत्सव का आयोजन किया। इस साहित्योत्सव में नामी-गिरामी हस्तियाँ शामिल रहीं। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र का विषय ‘नए भारत में साहित्य और संस्कृति’ रहा। इस सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. योगेश सिंह, संस्कृति परिषद् के चैयर पर्सन अनूप लाठर(दि.वि.),…

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अच्छा हो जाने में क्या बुरा है…

पहले मैं बुरा थाबहुत बुरा,जैसे किसब होते हैंफिर अच्छा बनने लगाक्योंकि“अच्छा” बनना पड़ता हैफिर बनते-बनतेहोने लगाऔरअंदर कुछबदलने लगाफिर अच्छा होना“अच्छा” लगने लगातो सोचा“अच्छा”हो जाने में क्या “बुरा” है – अभिषेक गुप्ता

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पहरेदार हूं गद्दार नहीं हूं मैं

बा-अदब, बा-ईसार,बा-ईमान हूँ मैंमुल्क है हमारा मुल्क की शान हूँ मैंऔर करें सब मोहब्बत इससे मेरी तरहना जाति ना मजहब इन सब से परे एक इंसान हूँ मैं वफ़ादारी का सुबूत ना मांगों ऐ लोगों मुझसेनफरतों को जो मिटा सके, वो तलवार हूँ मैंबात करते हो तुम इम्तियाज़ी की, तो बता दूंहक़दार हूं मादर-ए-वतन का,…

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आओ नया मुल्क बनाएं

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई चारों मिलएक थाली मे खाएंमुल्क की तरक्की का जिम्माअपने कंधों पर हम उठाएंआओ नया मुल्क बनाएं हरा,सफेद, केसरिया मिला एक तिरंगाअपने हाथों में उठाएंचारों मिल उसे बुलंदियों पर ले जाएँशीश शिखर पर अपना हम उठाएंआओ या मुल्क बनाएं क्यों ना तहजीबों की एक मसाल बनाएंएकता की चिंगारी से नफरतों को खूब…

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