दर्द देकर, दवा बताते हो

दिल-लगी कर के दिल कहीं और लगाते होरकीबों की बातों पर तुम जो यूँ मुस्कुराते हो हम जागते हैं तन्हा रातों कोजुगनुओं तुम पुर-सुकून कैसे सो जाते हो सुना है करते हो रौशन जहाँ ये साराफिर हमे ही क्यों अंधेरे में छोड़ जाते हो खाई थी क़सम तुमने किए थे कसीर वादेकरके वा’दा-ए-दीद वादा तोड़ … Continue reading दर्द देकर, दवा बताते हो