कविताएं
जानें कहां गया वो बचपन सुहाना
समय का पहिया ऐसा पलटादिन बीते, बीती रातेंगुजर गया वो ज़मानाजानें कहां गया वो बचपन सुहाना हम थे हरफनमौलाना फिक्र थी क्या नया क्या पुरानाजो मिला सब को अपना मानाजानें कहां गया वो बचपन सुहाना हैं कई यादें, है यादों का खज़ानायाद आता है वो ज़िद परदादी, नानी का किस्सा सुनानाजानें कहां गया वो बचपन…
यूं ही नहीं ये पत्रकार कहलाते हैं
हर बात की तह तक जाते हैंझूठे नक़ाब बेबाकी से उठाते हैंउठाएं जो कलम तो गागर में सागर भर देंयूं ही नहीं ये पत्रकार कहलाते हैं परिस्थितियों से ये ना घबराते हैंजान की बाजी बेखौफ लगाते हैंक़िरदार वफ़ा का क्या खूब निभातेयूं ही ये पत्रकार कहलाते हैं मजलूमों की आवाज़ बन जाते हैंज़रूरत पर तख्त-ओ-ताज़…