शारब को लेकर दिल्ली सरकार ने जारी की नई गाइडलाइन, पीने वाले जरूर ध्यान दें

दिल्ली में शराब पीने वालों के लिए ज़रूरी जानकारी Delhi Liquor Shop: यूँ तो राजधानी दिल्ली में कई चीजों के लिए मशहूर हैं। नेताओं के भाषण से लेकर ट्रैफिक तक। कुछ भी होता है तो लोग अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में धरना देते हैं और उनकी मांगे पूरी भी होती हैं ,वो बात अलग…

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दिल्ली में दिवाली से पहले ही बढ़ गई प्रदूषण की समस्या

दिल्ली में बढ़ती प्रदूषण की समस्या दिल्ली में प्रदूषण की समस्या चरम पर है दिल्ली सरकार के अनेक प्रयासों के बाद भी प्रदूषण पर पूरी तरह रोक नहीं लग पाई है।दिल्ली में भले ही कूड़े के लगे अंबर और कूड़े के लगे पहाड़ों को हटाने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन…

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उड़ान योजना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी

आपकी योजना आपका लाभ सीरीज में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज हम बात करेंगे भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही एक महत्वपूर्ण योजना ‘उड़ान योजना ‘ के बारे में जो की एक क्षेत्रीय परियोजना है. इस योजना का मुख्य उदेश्य कम दर पर ग्रामीण क्षेत्रों को हवाई जहाज की सेवा से जोड़ना है।…

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रमजान के पवित्र महीने के बारे में अहम जानकारी

इस्लामिक साल का नवां महीना होता है जो की शाबान महीने के बाद आता है. इस्लाम धर्म की माने तो इससे मुबारक महीना कोई और नहीं है। इस महीने में हर बालिग मुसलमान पर रोज़ा फर्ज़ है, रोज़ा इस्लाम के पाँच फर्ज़- शहादत(कलमा) ,नमाज़,जकात,हज और रोज़ा है जिसका ज़िक्र कुरआन में भी किया गया है।…

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ऐ ज़िन्दगी तेरा शुक्रिया

इतनी सी उम्र में बहुत कुछ दियाए ज़िन्दगी तेरा शुक्रियाकभी मोहब्बत में इज़हार कियातो कभी मोहब्बत ने दरकिनार कियाए ज़िन्दगी तेरा शुक्रिया कभी गम में डूबेतो कभी खुशियों का अब्र दियाकभी सिर से छत छिनीतो कभी शाह का घर दियाए ज़िन्दगी तेरा शुक्रिया भूख से निकले दमए ज़िन्दगी तू ना कर इतने सितमखाने के लाले…

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जानें कहां गया वो बचपन सुहाना

समय का पहिया ऐसा पलटादिन बीते, बीती रातेंगुजर गया वो ज़मानाजानें कहां गया वो बचपन सुहाना हम थे हरफनमौलाना फिक्र थी क्या नया क्या पुरानाजो मिला सब को अपना मानाजानें कहां गया वो बचपन सुहाना हैं कई यादें, है यादों का खज़ानायाद आता है वो ज़िद परदादी, नानी का किस्सा सुनानाजानें कहां गया वो बचपन…

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यूं ही नहीं ये पत्रकार कहलाते हैं

हर बात की तह तक जाते हैंझूठे नक़ाब बेबाकी से उठाते हैंउठाएं जो कलम तो गागर में सागर भर देंयूं ही नहीं ये पत्रकार कहलाते हैं परिस्थितियों से ये ना घबराते हैंजान की बाजी बेखौफ लगाते हैंक़िरदार वफ़ा का क्या खूब निभातेयूं ही ये पत्रकार कहलाते हैं मजलूमों की आवाज़ बन जाते हैंज़रूरत पर तख्त-ओ-ताज़…

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