दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। वो जेल से बाहर आ गए हैं। जिसके बाद से सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। एक तरफ जहां सिसोदिया को जमानत मिलने पर समर्थक जमकर खुशियां मना रहे हैं वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से भाजपा की जमकर आलोचना हो रही है। हो भी क्यों न इन्हीं मनीष सिसोदिया को जांच एजेंसियां भाजपा सरकार के इशारों पर गलत तरीके से फंसा रही थी वहीं दूसरी तरफ चुनावी के दौरान सिसोदिया का मुद्दा उठा कर भाजपा दुष्प्रचार कर रही थी। हालांकि कोर्ट के इस फैसले के आने के बाद न केवल आप में बल्कि पूरे इंडिया गठबंधन में ख़ुशी का माहुल है। लेकिन जिस वक्त मनीष सिसोदिया जेल गए थे और अब जब वापस आये हैं तो तब से लेकर अब भर में काफी कुछ बदल गया है।
17 महीने पहले जब सिसोदिया जेल गए थे तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल के बहार थे। सरकार पर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं था लेकिन अब जब सिसोदिया जेल से बहार आये हैं तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में हैं। ऐसे में अब ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि मनीष सिसोदिया को अब पार्टी को लेकर बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। वहीं पार्टी को मद्देनजर रखते हुए अगर हम बात करें तो जेल से बहार आने के बाद मनीष सिसोदिया के सामने बड़ी चुनौती है। बता दें कि आबकारी घोटाला से जुड़े मनी लांड्रिंग व भ्रष्टाचार मामले में जमानत मिलने के बाद अब दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री की रिहाई की चर्चा तेज हो गई है। लेकिन इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति मिलने के बाद मनीष सिसोदिया को ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा। ट्रायल कोर्ट के समक्ष बेल-बांड भरा जाएगा और इसके बाद ट्रायल कोर्ट रिलीज आर्डर जारी करेगा।
रिलीज ऑर्डर जारी होने के बाद इसी के आधार पर तिहाड़ जेल में रिहाई होगी। संभावना है कि आज शाम तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाए और देर रात या फिर शनिवार की सुबह सिसोदिया जेल से बाहर आ जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए कहा कि वो समाज के एक सम्मानित व्यक्ति हैं। इसलिए उनके भागने की आशंका कतई नहीं है। अदालत ने आगे कहा कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ जो सबूत अब तक मिले थे। वो जुटाए भी जा चुके हैं, इसलिए अब कोई गड़बड़ी की संभावना दिखाई नहीं देती, लेकिन बावजूद कुछ शर्तें लगानी पड़ेंगी। कोर्ट ने 2 लाख के मुचकले पर आप के नेता को जमानत दी। कोर्ट ने कहा कि मनीष को जमानत के लिए अपना पासपोर्ट जमा कराना होगा।
बता दें कि पांच महीने के अंदर मनीष सिसोदिया संजय सिंह के बाद आम आदमी पार्टी के दूसरे शीर्ष नेता हैं, जिन्हें अदालत से जमानत मिली है. फिर, सिसोदिया को जमानत ऐसे समय में मिली है, जब सीएम अरविंद केजरीवाल और सत्येंद्र जैन जैसे नेता न्यायिक हिरासत में हैं. इतना ही नहीं, आप नेताओं के जेल में होने का लाभ उठाकर बीजेपी और दिल्ली कांग्रेस-आप को लगातार घेरने में लोकसभा चुनाव के बाद से जुटी है. ऐसे में सिसोदिया का जेल से बाहर आना आम आदमी पार्टी के लिए काफी किफायती साबित होगा। वो इस लिए क्योंकि सीएम अरविंद केजरीवाल के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं में जान फूंकने के मामले में मनीष सिसोदिया में सबसे ज्यादा प्रभावी नेता माने जाते हैं।
यही वजह है कि सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के 17 महीने बाद सिसोदिया को जमानत मिलते ही आप के नेताओं और कार्यकर्ताओं को नई ताकत मिली है. फिर, सिसोदिया वो नेता हैं, जिनकी वजह से दिल्ली एजुकेशन मॉडल दुनिया भर में लोकप्रिय हुई. दिल्ली की राजनीति और नौकरशाही में सिसोदिया अच्छी पकड़ है. अब आप के विधायक व सांसद खुलकर बीजेपी पर हमला बोलेंगे. सुनीता केजरीवाल, आतिशी, राघव चड्ढा, सौरभ भारद्वाज, स्वाति मालीवाल, दुर्गेश पाठक, संजीव झा, दिलीप पांडे, यास्मिन शाह व अन्य नेता खुलकर बीजेपी पर पलटवार करेंगे. ऐसे में बीजेपी नेताओं के लिए आप पर दबाव बना पाना आसान नहीं होगा.
हालांकि ये सिलसिला सिसोदिया को जामनत मिलने के बाद से ही शुरू हो गया है। क्योंकि इसे लेकर आप नेताओं ने भाजपा को घेरा शुरू कर दिया है। ऐसे में
आप नेता और मंत्री गोपाल राय ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने कहा, “इसने एक बात का संदेश दिया है कि तानाशाही की भी सीमा होती है. 17 महीने पहले दिल्ली के बच्चों के सपनों को मनीष सिसोदिया ने गढ़ा. सरकारी स्कूलों के रिजल्ट प्राइवेट रिजल्ट से अच्छा ला कर दिखाए. इसके बावजूद उन्हें फर्जी केस फंसाकर का जेल भेज दिया गया. आप नेताओं ने कहा कि बीजेपी का मकसद दिल्ली आबकारी नीति मामले की जांच करना नहीं है. इन्हें आम आदमी पार्टी के नेताओं को जेल में डालना है.”
भाजपा जब से सत्ता में आई है तब से ही विपक्ष को कमजोर करने और दबाने की कोशिश कर रही है। जहां-जहां जनता के वोटों से भाजपा नहीं जीत सकी वहां-वहां षड्यंत्र के तहत विपक्ष के नेताओं को फंसा कर सत्ता पर अपना अधिकार जमाने की कोशिश की। फिर चाहे वो झारखंड हो या दिल्ली। भाजपा ने अपनी कूटनीति के जरिये हर बार सेंधमारी करने की कोशिश की। और ये कोशिश निरंतर जारी है। वो बात अलग है कि अभी तक भाजपा अपने इस गलत इरादे में कामयाब नहीं हो सकी है। जांच एजेंसियों का गलत उपयोग करके साहब ने विपक्ष के कई नेताओं को जेल में ही रखना चाहा लेकिन ऐसा हो नहीं सका। क्योंकि देश में आज भी न्याय व्यवथा जिंदा है। जिसका जीता जागता सुबूत एक बार फिर मिला है।
मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, और फिर 9 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय ने. इससे पहले ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाएं कई बार खारिज हो चुकी हैं. गौरतलब है कि अब दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत मिलना और ऐसे समय में उनका जेल से बाहर आना इंडिया गठबंधन के लिए काफी किफायती साबित होगा।