बा-अदब, बा-ईसार,बा-ईमान हूँ मैं
मुल्क है हमारा मुल्क की शान हूँ मैं
और करें सब मोहब्बत इससे मेरी तरह
ना जाति ना मजहब इन सब से परे एक इंसान हूँ मैं
वफ़ादारी का सुबूत ना मांगों ऐ लोगों मुझसे
नफरतों को जो मिटा सके, वो तलवार हूँ मैं
बात करते हो तुम इम्तियाज़ी की, तो बता दूं
हक़दार हूं मादर-ए-वतन का, कोई किराएदार नहीं हूँ मैं
करेंगें हिफ़ाज़त जाँ से भी ज़ियादा
वतन पे बा-ख़ुदा जाँ-निसार हूँ मैं
इश्क़-ए-वतन दी हैं लाखों कुर्बानियां हमने भी
पहरे-दार हूं मुल्क का, ग़द्दार नहीं हूँ मैं
कविता में इस्तेमाल किये गए उर्दू के कुछ शब्द
बा-अदब – Polite
बा-ईसार–The one who Sacrifices
बा-ईमान–Believing
इम्तियाज़ी– Discrimination
हक़दार–Deserving
मादर-ए-वतन– Motherland
हिफ़ाज़त– Protection
ज़ियादा– Surplus
जान-निसार–Sacrificing one’s life
ग़द्दार– Disloyal