जाने कैसे वो खुद को मर्द बताते हैं
वो बेक़सूर पे बिना वजह हाथ उठाते हैं
भूल कर सारी मर्यादा
भरी महफिल में वो यूँ गंदी नजरों से घूर जाते हैं
खुदा के खौफ से भी वो दरिंदे ना घबराते है
गुनाह करके भी ख़ुद को पाक साफ बताते हैं
है ये चाल उनकी,
जाने कहाँ से वो ये हुनर लाते हैं
औरत की कोख से पैदा होकर
औरत को ही नोच खाते हैं
जाने कैसे वो खुद को मर्द बताते हैं
वो बेक़सूर पे बिना वजह हाथ उठाते हैं