हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई चारों मिल
एक थाली में खाएं
मुल्क की तरक्की का ज़िम्मा
अपने कंधों पर हम उठाएं
आओ नया मुल्क बनाएं
हरा सफेद केसरिया मिला एक तिरंगा
अपने हाथों में उठाएं
चारों मिल उसे बुलंदियों पर ले जाएं
शीश शिखर पर अपना हम उठाएं
आओ नया मुल्क बनाएं
क्यों ना तहज़ीबों की एक मशाल बनाएं
एकता की चिंगारी से नफरतों को खूब जलाएं
आओ मिलकर कसमें खाएं
रिश्ते इंसानियत के बिना शर्त निभाएं
आओ नया मुल्क बनाएं
✍🏻मोहम्मद इरफ़ान