मेरा गांव अपने लोग

यहां के अनाजों में सोने सी चमक मिलती है
खेत खलिहानों में हरियाली देखने को मिलती है
रहती है रौनक गांव के हर एक गली में
एक दूसरे के दुखों में लोगों की भीड़ साथ मिलती है

बहती है सुगंधित हवाएं चारों ओर
सूरज की पहली झलक यहीं से देखने को मिलती है
नहीं होता कोई भेद भाव जाति मज़हब का
यहां हिंदू मुस्लिम में एकता देखने को मिलती है

रहने लगे लोग शहरों में गांव को छोड़ कर
पर गांव की यादें आज भी धड़कनों में मिलती है
हैं बड़े मकान यहां रहने के अच्छे इंतेजाम यहां
पर नींद सुकून की आज भी गांव में ही मिलती है

नादान है पढ़ लिख गांव को कह देते हैं जाहिल
जबकि समझ गांव के अनपढ़ों में देखने को मिलती है
वो समझदार होते छोड़ देते मां-बाप को यतीमखाने में
यहां मां बाप पर कुर्बानी की कहानियां सुनने को मिलती है

✍🏻 मोहम्मद इरफ़ान

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