कहानी उस रानी की…

एक कहानी झांसी की रानी की बहादुरी के नाम

क्यों भूल गए तुम उनकी कहानी को 
उस झाँसी वाली रानी को 
मैदान में जिसने दहाड़ा था  
हज़ार मर्दों को अकेले ही जिसने पछाड़ा था 

अपनों की शक्ल मे हर कोई पराया था
वक़्त-वक़्त पर हर किसी ने पीठ दिखाया था 
अंग्रेजों की छाती पर बिगुल विजय का बजाया था
सिर झाँसी का जिसने गर्व से उठाया था

फूल सा बच्चा गोद में जिनकी मुरझाया था
फिर भी मन उनका ना घबराया था 
जाने कहाँ से जज़्बा उन्होंने पाया था 
सिर झाँसी का जिसने गर्व से उठाया था 

जान देकर भी जिसने शान को बचाया था 
उन ना मर्दों को मर्दानगी का सबक़ सिखाया था 
औरत होकर भी जिसने किरदार मर्द से बेहतर निभाया था 
सिर झाँसी का जिसने गर्व से उठाया था।

✍️मोहम्मद इरफ़ान

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *