छोड़ो भी मंदिर-मस्जिद के नाम पर लड़ना, करो कोशिश एक साथ मिल जुल कर रहना

सरकार, शासन, न्यापालिका और प्रशासन सब इन दिनों चर्चा में हैं। सब पर कहीं न कहीं उंगलियां उठ रही हैं। दरअसल जिस तरह से देश में मंदिर मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है ऐसे में एक बात तो तय है कि सुकून कहीं नहीं है। न ही हिन्दू होने में न ही मुसलमान होने…

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रंगों से पहचान

रंगों से तुम हमारी पहचान करते होलाल से हिंदू हरे से मुसलमान करते हो हम हैं एक,एक है रंग खून का,फिर क्यूफैला कर नफ़रत यूं सरे आम करते हो पसंद है सबको सुकून-ए-क़ल्ब,तो क्योंनन्हें परिंदो को यूं बे-जान करते हो माना है मज़हब अलग,पर खुदा एक हैफिर क्यों मज़हब पर कत्ल-ए-आम करते हो फैला कर…

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आओ नया मुल्क बनाएं

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई चारों मिलएक थाली मे खाएंमुल्क की तरक्की का जिम्माअपने कंधों पर हम उठाएंआओ नया मुल्क बनाएं हरा,सफेद, केसरिया मिला एक तिरंगाअपने हाथों में उठाएंचारों मिल उसे बुलंदियों पर ले जाएँशीश शिखर पर अपना हम उठाएंआओ या मुल्क बनाएं क्यों ना तहजीबों की एक मसाल बनाएंएकता की चिंगारी से नफरतों को खूब…

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‘दीन के साथ-साथ दुनियावी तालीम को लेकर एक कोशिश’

आज के इस जमाने में दीन के साथ-साथ दुनियावी तालीम देना भी ज़रूरी है। ऐसे में ये एक छोटी सी कहानी और पात्र भले ही पूरी तरह से काल्पनिक हों लेकिन ये हमारे समाज में एक आईने की तरह काम करेगी। उत्तर प्रदेश के जगतपुर के रहने वाले इकबाल हसन महज 12वीं पास तथा उर्दू…

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रंगों से तुम हमारी पहचान करते हो

रंगों से तुम हमारी पहचान करते होलाल से हिंदू हरे से मुसलमान करते हो हम हैं एक,एक है रंग खून का,फिर क्यूफैला कर नफ़रत यूं सरे आम करते हो पसंद है सबको सुकून-ए-क़ल्ब,तो क्योंनन्हें परिंदो को यूं बे-जान करते हो माना है मज़हब अलग,पर खुदा एक हैफिर क्यों मज़हब पर कत्ल-ए-आम करते हो फैला कर…

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मेरा गांव अपने लोग

यहां के अनाजों में सोने सी चमक मिलती हैखेत खलिहानों में हरियाली देखने को मिलती हैरहती है रौनक गांव के हर एक गली मेंएक दूसरे के दुखों में लोगों की भीड़ साथ मिलती है बहती है सुगंधित हवाएं चारों ओरसूरज की पहली झलक यहीं से देखने को मिलती हैनहीं होता कोई भेद भाव जाति मज़हब…

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