आओ नया मुल्क बनाएं
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई चारों मिलएक थाली मे खाएंमुल्क की तरक्की का जिम्माअपने कंधों पर हम उठाएंआओ नया मुल्क बनाएं हरा,सफेद, केसरिया मिला एक तिरंगाअपने हाथों में उठाएंचारों मिल उसे बुलंदियों पर ले जाएँशीश शिखर पर अपना हम उठाएंआओ या मुल्क बनाएं क्यों ना तहजीबों की एक मसाल बनाएंएकता की चिंगारी से नफरतों को खूब…