क्या गम है, जो छुपाते हो ?

क्या गम है जो छुपाते हो, सहमे से रहते होअंदर ही अंदर में बोलकर किसे समझाते होगम में रहकर भी जीना, कोई जीना हैवजह तुम किसी से क्यों नहीं बताते हो? औरों को मस्जिद का रास्ता बता करखुद मयखाने की तरफ निकल जाते होजिंदगी के सबक तो सीख लिए हैं पहले हीअब आईना देखने से…

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