उफ़, याद क्यों नहीं आ रहा

क्या shop no. बताया था दीदी ने स्नेहा market की तरफ जाते हुए सोच रही थी। तभी दीदी की call आती है और वो पूछती हैं क्या तुमने वो वो exchange किया? (a short story)हां दीदी बस जा ही रही हूं वैसे आपने क्या Number btaya था shop का, जिस वक्त दीदी से स्नेहा ने…

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किसी में ज़्यादा किसी में कम है

किसी में ज़्यादा किसी में कम हैयहां हर शख्स की जिंदगी में गम है कोई खुश है कच्चे मकानों मेंकिसी के लिए महल भी कम है कोई छुपा लेता है अपने आंसूकिसी की आंखें आज भी नम है बद-हाली से कई हार चुके हैं ये जंगजीतेगा वही जिसमें जीतने का दम है। मोहम्मद इरफ़ान

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मेरा गांव अपने लोग

यहां के अनाजों में सोने सी चमक मिलती हैखेत खलिहानों में हरियाली देखने को मिलती हैरहती है रौनक गांव के हर एक गली मेंएक दूसरे के दुखों में लोगों की भीड़ साथ मिलती है बहती है सुगंधित हवाएं चारों ओरसूरज की पहली झलक यहीं से देखने को मिलती हैनहीं होता कोई भेद भाव जाति मज़हब…

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ऐ ज़िन्दगी तेरा शुक्रिया

इतनी सी उम्र में बहुत कुछ दियाए ज़िन्दगी तेरा शुक्रियाकभी मोहब्बत में इज़हार कियातो कभी मोहब्बत ने दरकिनार कियाए ज़िन्दगी तेरा शुक्रिया कभी गम में डूबेतो कभी खुशियों का अब्र दियाकभी सिर से छत छिनीतो कभी शाह का घर दियाए ज़िन्दगी तेरा शुक्रिया भूख से निकले दमए ज़िन्दगी तू ना कर इतने सितमखाने के लाले…

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मैं मेरी तन्हाई और अधूरे ख्वाब

बंद कमरा, खुली आंखों में जागते कई ख्वाबमैं, मेरी तन्हाई चार दिवारी और चंद किताब घड़ी की टिक-टिक, काली सियाह अंधेरी रातबढ़ती उम्र, मांगती नाकामयाबी का हिसाब फिर पूछूं जो खुद से सवाल, किया क्या अब तकगहरी सोच, खामोश लब, नहीं मिलता कोई जवाब ‘उम्मीद’ ही सोच के समंदर में डूबती कश्ती को सहारा देतीआवाज़…

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