उनसे जुदा हुए हम

उनसे जुदा हुए हम इन्ही गलियों में हम पले बढ़ेयहीं हम सब का ठिकाना थाजानें कब गुजर गए वो खूबसूरत पलजो बीत गया वो बचपन सुहाना था बहुत कुछ सीखा है यहां सेअब औरों को सिखाना हैउठा सकें सब सिर गर्व से अपनाऐसा कुछ करके दिखाना है बिछड़ना तो लाज़िम है हम सब परअब की…

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‘दीन के साथ-साथ दुनियावी तालीम को लेकर एक कोशिश’

आज के इस जमाने में दीन के साथ-साथ दुनियावी तालीम देना भी ज़रूरी है। ऐसे में ये एक छोटी सी कहानी और पात्र भले ही पूरी तरह से काल्पनिक हों लेकिन ये हमारे समाज में एक आईने की तरह काम करेगी। उत्तर प्रदेश के जगतपुर के रहने वाले इकबाल हसन महज 12वीं पास तथा उर्दू…

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उम्मीद की एक रोशनी

बंद कमरा, खुली आंखों में जागते कई ख़्वाबमैं, मेरी तन्हाई चार दिवारी और चंद किताब घड़ी की टिक-टिक, काली सियाह अंधेरी रातबढ़ती उम्र, मांगती नाकामयाबी का हिसाब फिर पूछूं जो खुद से सवाल, किया क्या अब तकगहरी सोच, खामोश लब, नहीं मिलता कोई जवाब ‘उम्मीद’ ही सोच के समंदर में डूबती कश्ती को सहारा देतीआवाज़…

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