पहले मैं बुरा था
बहुत बुरा,
जैसे कि
सब होते हैं
फिर अच्छा बनने लगा
क्योंकि
“अच्छा” बनना पड़ता है
फिर बनते-बनते
होने लगा
और
अंदर कुछ
बदलने लगा
फिर अच्छा होना
“अच्छा” लगने लगा
तो सोचा
“अच्छा”
हो जाने में क्या “बुरा” है
– अभिषेक गुप्ता
पहले मैं बुरा था
बहुत बुरा,
जैसे कि
सब होते हैं
फिर अच्छा बनने लगा
क्योंकि
“अच्छा” बनना पड़ता है
फिर बनते-बनते
होने लगा
और
अंदर कुछ
बदलने लगा
फिर अच्छा होना
“अच्छा” लगने लगा
तो सोचा
“अच्छा”
हो जाने में क्या “बुरा” है
– अभिषेक गुप्ता