कौन जाने कब क्या-क्या होगा
किस्मत का लिखा किसे पता होगा
किसी के सर सजेगा सेहरा
कोई कफ़न में लिपटा होगा
दाएं से उठेगी डोली किसी की
बाएं किसी का जनाजा होगा
बाद वक्त,
किसी के घर गूंजेगी किलकारियां
किसी के घर आज भी मातम पसरा होगा
किसी का लाल टहलेगा आँगन में, तब तक
एक मां का चाँद बादलों में छुप चुका होगा