तू सही मैं गलत, तू एक मैं अलग

तू सही मैं गलत
तू एक मैं अलग
तू अंधेरी रात का चांद
मैं चांद में लगे दाग़ सा

तू हक़ीक़त
मैं ख़्वाब सा
तू मधुर गीत
मैं बदसुरे राग सा

तू जलता सूरज
मैं बुझे चिराग़ सा
तू शहजादी
मैं गरीब नवाब सा

तू रह होश में
मुझे करके बेहाल जरा
तू रख ख्याल जरा
मुझे छोड़ दे मेरे हाल जरा

कैसा तेरा मेरा वास्ता
अलग है हम दोनों का रास्ता
कौन,कब, कैसा था
इरफ़ान कोई कहां खास था

आँख खुली देखा इधर-उधर
कोई नहीं मेरे पास था
अच्छा था बुरा था जो भी था
ये महज एक ख़्वाब था
✍️मोहम्मद इरफ़ान

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