रंगों से तुम हमारी पहचान करते हो
लाल से हिंदू हरे से मुसलमान करते हो
हम हैं एक,एक है रंग खून का,फिर क्यू
फैला कर नफ़रत यूं सरे आम करते हो
पसंद है सबको सुकून-ए-क़ल्ब,तो क्यों
नन्हें परिंदो को यूं बे-जान करते हो
माना है मज़हब अलग,पर खुदा एक है
फिर क्यों मज़हब पर कत्ल-ए-आम करते हो
फैला कर नफ़रत यूं सरे आम करते हो
तुम हिंदू मुसलमान करते हो
✍🏻 मोहम्मद इरफ़ान